तुम्हारा ख़त रामपुर पहुँचा और रामपुर से दिल्ली आया। मैं 23 शाबान को रामपुर से चला और 30 शाबान को दिल्ली पहुँचा। उसी दिन चाँद हुआ। यक शंबा रमज़ान की पहली, आज दो शंबा 9 रमज़ान की है।
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