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Channel: ग़ालिब के ख़त
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ग़ालिब का ख़त- 29

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भाई साहिब मैं भी तुम्हारा हमदर्द हो गया, यानी मंगल के दिन 18 रबीअ़ उल अव्वल को शाम के वक़्त वह फूफी की मैंने बचपने से आज तक उसको माँ समझा था और वह भी मुझको बेटा समझती थी, मर गई।

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