ग़ुलाम की क्या ताक़त कि आपसे ख़फ़ा हो। आपको मालूम है कि जहाँ आपका ख़त न आया, मैंने शिकवा लिखना शुरू किया। हाँ, यह पूछना चाहिए कि अब के गिला की निगारिश क्यों मुल्तवी रही। सुनिए, मिर्जा़ यूसुफ़ अ़ली ख़ाँ अलीगढ़ से आए।
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